"मै अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?" (भजन 121:1)।
क्या आपको मालूम है की जब कभी भी आप ज़ोर से प्रार्थना करे तो सिर्फ येसी प्रार्थना को प्रार्थना एकमात्र रूप नहीं समझना चाहिए। बल्कि उत्सुकता से प्रभु की ओर देखना भी प्रार्थना का एक रूप है।
राजा दाऊद ने न तो मनुष्यों के अनुग्रह की ओर दृष्टि की, और न उनके चेहरों पर, और न अधिकारियों या धनवानों के चेहरों पर दृष्टि डाली। उसकी आँखें केवल उस प्रभु की ओर थीं, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की।
यद्यपि पवित्रशास्त्र के भजन में एक सौ पचास भजन हैं, उनमें से तीन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भजन 23, जो कहता है; “यहोवा मेरा चरवाहा है', भजन संहिता 91; जो परमेश्वर की उपस्थिति में रहने की सुरक्षा के बारे में बात करता है, और भजन संहिता 121; जो परमेश्वर की मदद के लिए तत्पर रहने का एक भजन है। ये भजन छोटी उम्र से ही मसिहियों के दिलों में अच्छी तरह से अंकित हैं।
ठीक इसी प्रकार से आप परमेश्वर पिता से प्रेम, पराक्रम और दृढ़ता प्राप्त करते हैं। और प्रभु यीशु मसीह की दया से अनुग्रह जो कलवारी में क्रूस पर बहाया गया उनका बहुमूल्य लहू आपकी ओर एक धारा की तरह दौड़ता है जो आपको शुद्ध करने और परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप करने के लिए बहा था। और पवित्र आत्मा से; आप अभिषेक, वरदान और आत्मा के उपहार प्राप्त करते हैं।
दाऊद के इस भजन से एक स्पष्ट घोषणा हमे देखने को मिलता है की दाउद इस बात को जनता था की उसे किसी मनुष्य से सहायता न मिलेगी, जिस पर मैं चट्टान की नाईं भरोसा करता है; परन्तु केवल यहोवा की ओर से - जिसने आकाश और पृथ्वी को बनाया।
अतीत में, आपने मदद और समर्थन के लिए कुछ लोगों पर भरोसा किया होगा, और अपना सारा विश्वास उन पर रखा होगा। लेकिन वे चट्टानें या पहाड़ियाँ आपको छोड़ देतीं या विफल हो जातीं। और अंत में, आपके पास जो कुछ बचा है वह केवल खालीपन और निराशा है।
परन्तु यहोवा आपसे कहता है, “चाहे पहाड़ हट जाएं और पहाडिय़ां टल जाएं, तौभी मेरी करूणा तुझ पर से कभी न हटेगी, और मेरी शान्तिदायक वाचा न टलेगी, यहोवा, जो तुझ पर दया करता है, उसका यही वचन है॥” (यशायाह 54:10)।
परमेश्वर के प्रिय लोगो, आप किस पर भरोसा करते हैं? क्या आप अपना विश्वास मनुष्यों पर या यहोवा पर रखते है? नाशवान वस्तुओं पर है या प्रभु पर - जिसकी दया कभी समाप्त नहीं होती?
मनन के लिए: "जिस प्रकार यरूशलेम के चारों ओर पहाड़ हैं, उसी प्रकार यहोवा अपनी प्रजा के चारों ओर अब से लेकर सर्वदा तक बना रहेगा।" (भजन संहिता 125:2)
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