"और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती 24:3)।
जैतून का पर्वत इजरायल के सभी पहाड़ों में सबसे प्रशंसित है, और लोग उस पहाड़ को बहुत पसंद करते हैं। इसकी ऊंचाई लगभग दो हजार सात सौ फीट है, और यह एक वर्ग मील में फैला है। पूरा पहाड़ जैतून के पेड़ों से भरा है और उस क्षेत्र के लोगों की आजीविका में बहुत मदद करता है। इस क्षेत्र की यात्रा के दौरान, आप देखेंगे कि जैतून के बीजों से तेल निकालने के लिए कई इकाइयां हैं।
यीशु बहुत बार जैतून के पहाड़ पर प्रार्थना करने जाते थे। यहीं पर गतसमनी का बगीचा स्थित है। आप देखेंगे कि जैतून का पर्वत, एक पर्वत श्रृंखला के रूप में, यरूशलेम के पूर्व और किढ्रोन नाले के उत्तर-पश्चिम में फैला हुआ है। यह बेथानिया तक फैला हुआ है, जो यरूशलेम के पूर्वी हिस्से में है। यह जैतून के पहाड़ के रास्ते में था, कि यीशु ने अपने शिष्यों के साथ एक निजी बातचीत की थी। हम उन सभी सत्यों के बारे में पढ़ सकते हैं जो उसने जैतून के पहाड़ से, मत्ती 24, लूका 21 और मरकुस 13वें अध्यायों में बोले थे।
जैतून का पहाड़ हमें हमेशा हमारे प्रभु के आने की याद दिलाता है। यह जैतून के पहाड़ में था, कि यीशु का स्वेर्गारोहण हुआ था। जब चेले देखते रहे, तो वह उठा लिया गया, और बादल ने उन्हें उन के साम्हने से हटा लिया। उसके तुरन्त बाद यहोवा के दूत प्रकट हुए और “कहने लगे; हे गलीली पुरूषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा॥" (प्रेरितों के काम 1:11)।
मसीही धर्म विश्वासों पर बना है। क्योंकि प्रभु मृत्यु में से जी उठा, हम में पुनरुत्थान की आशा है। जब से हमारे परमेश्वर स्वेर्गारोहण हुआ और हमे ये भी आशा है कि वह फिर से आएंगे। भविष्य की सबसे महत्वपूर्ण घटना हमारे प्रभु यीशु मसीह के आगमन के अलावा और कुछ नहीं है।
जब यहोवा लौटेगा, तो वह जैतून के पहाड़ पर उतरेगा। पवित्रशास्त्र कहता है, “और उस समय वह जलपाई के पर्वत पर पांव धरेगा, जो पूरब ओर यरूशलेम के साम्हने है; तब जलपाई का पर्वत पूरब से ले कर पच्छिम तक बीचों-बीच से फटकर बहुत बड़ा खड्ड हो जाएगा; तब आधा पर्वत उत्तर की ओर और आधा दक्खिन की ओर हट जाएगा।" (जकर्याह 14:4)।
परमेश्वर के लोगो, अपने मन में जैतून का पहाड़ को बसा ले। येसा हो जाए की आपकी आँखें यहोवा की ओर स्थिर आशा से देखें! और प्रभु के आगमन पर उनसे मिलने के लिए अपने आप को तैयार करो। आपकी आत्मा, मन और शरीर को उस दिन तक बिना किसी दोष के संरक्षित किया जा सकता है!
मनन के लिए: "तब तुम मेरे बनाए हुए उस खड्ड से होकर भाग जाओगे, क्योंकि वह खड्ड आसेल तक पहुंचेगा, वरन तुम ऐसे भागोगे जैसे उस भुईंडोल के डर से भागे थे जो यहूदा के राजा उज्जियाह के दिनों में हुआ था। तब मेरा परमेश्वर यहोवा आएगा, और सब पवित्र लोग उसके साथ होंगे॥" (जकर्याह 14:5)
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